7 विलुप्त हुए जानवर जो फिर से लौट रहे हैं
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दोस्तों सोचिये अगर करोडो साल पहले इस धरती पर रहने वाले दयान्सर अचानक से आपके सामने आ जाये अचानक से इस धरती से विलुप्त हुए जानवर हमारे बीच घूमने लगे हलाकि ये सब बाते आपको सिर्फ काल्पनिक लग रहे होंगे लेकिन आपको बता दे की ये कोई फिक्शन नही बाकि असल में विलुप्त हुए जानवर वापस आने लगे है आज के विडियो में हम देखंगे आज से लाखो करोडो साल पहले विलुप्त हुए जानवर जो अब एक एक कर के धरती पर वापस आ रहे है बने रहे विडियो के अंत तक क्युकी विडियो काफी इंट्रेस्टिंग होने वाली है
1. वुली राइनोसेरोस
दोस्तों ये है राइनो जो आज से करोडो साल पहले आइस ऐज के ज़माने में इस धरती पर रहा करते थे जो काफी हद तक ठंडा रहता था और यही वजह था की उनके शारीर में काफी लम्बे लम्बे बाल होते थे साथ ही ये काफी विशाल्काएं हुआ करते थे लेकिन जब आइस एज खत्म हुई, तो क्लाइमेट चेंज और इंसानों के द्वारा लगातार शिकार करने की वजह से ये वुली राइनोज पूरी तरह इस दुनिया से एक्सटिंक्ट हो गए। और हैरानी की बात है की इनकी बॉडीज़ आज भी साइबेरिया के ठंडे बर्फीले इलाकों में मिलते हैं, लेकिन रिसर्च में कोई खास हाई-क्वालिटी जेनेटिक मटेरियल नहीं मिला है।
इसलिए अगर वूली राइनो को दोबारा इस दुनिया में लाना हो, तो सबसे आसान तरीका ये है कि इंडोनेशिया में मिलने वाले उसके सबसे करीबी रिश्तेदार सुमात्रा राइनो की Help ली जाए। अगर हम ऐसे सुमात्रा राइनो को चुनें जिनकी स्किन पर थोड़े ज्यादा बाल हों, और उन्हीं को आपस में मिलाकर उनकी अगली नस्ल तैयार करें, तो धीरे-धीरे उनके बच्चे और भी ज्यादा बालों वाले पैदा हो सकते हैं। ठीक वैसे ही जैसे Scientist भेड़ियों की Selective ब्रीडिंग करके आज के ज़माने में 340 से ज्यादा डॉग ब्रीड्स तैयार कर ली गई हैं। हलाकि इसमें भी एक बड़ी परेशानी है इंडोनेशिया में मिलने वाले सुमात्रा राइनो धीरे धीरे विलुपत हो रहे तो सबसे पहले कोसिस होगी की इनको ज्यदा से ज्यदा संख्या में बचाया जाये क्युकी अगर ये एकबार विलुप्त हो गए तो फिर वूली राइनो सोरेस को वापस लाना एकदम नामुमकिन हो जाएगा
2. डोडो
डोडो पक्षी दरअसल एशिया के कबूतरों की एक प्रजाति से इवॉल्व हुआ था। उसके पूर्वज उड़ते-उड़ते मॉरीशस आ पहुँचे थे। वहाँ कोई शिकारी जानवर नहीं था, इसलिए डोडो को किसी चीज़ का डर ही नहीं था। लेकिन 1638 में जब कुछ डच सिपाही मॉरीशस पहुँचे, तो उन्होंने डोडो का शिकार करना शुरू कर दिया। साथ ही वो अपने साथ कुत्ते, बिल्ली, बंदर और चूहे जैसे शिकारी जानवर भी ले आए। और इन सबकी वजह से डोडो पक्षी धीरे-धीरे खत्म हो गया और करीब 1690 तक ये पूरी तरह से विलुप्त हो गया।
लेकिन अच्छी बात ये है कि डोडो के कई प्रिज़र्व्ड नमूने आज भी मौजूद हैं। जैसे कि ऑक्सफोर्ड डोडो, जिसका सिर आज भी बहुत अच्छे हालत में रखा गया है। और 2022 में तो उनका पूरा जीनोम भी सीक्वेंस कर लिया गया है। अब वैज्ञानिकों ने निकोबार पिजन, जो डोडो के सबसे करीब के जेनेटिक रिश्तेदार हैं, उसे चुना है। और CRISPR नाम की टेक्नोलॉजी की मदद से इन पिज़न के जीन में एडिटिंग करके बहुत जल्द डोडो को दोबारा इस दुनिया में वापस लाने की तैयारी हो रही है।
3. ग्राउंड स्लॉथ
दोस्तों दुनिया के सबसे लेज़ी जानवर स्लॉथ को तो आप भली-भांति जानते होंगे जिसकी साइज महज एक बिल्ली के साइज के जितनी होती है लेकिन आइस एज के ज़माने में आज के स्लॉथ से कहीं गुना बड़े ग्राउंड स्लॉथ्स इस धरती पर पाए जाते थे। अगर कंपैरिजन किया जाए, तो उस ज़माने के ग्राउंड स्लॉथ एक हाथी के साइज के बराबर हुआ करते थे। हालांकि ग्राउंड स्लॉथ एक शाकाहारी जानवर थे जो सिर्फ घास-फूस, पेड़-पौधे खाते थे और ये जानवर ज़्यादातर वुडलैंड्स और ग्रासलैंड्स में रहा करते थे। और इसी वजह से इनकी ना कोई खास प्रिज़र्व्ड फ्रोज़न बॉडी मिली है ना ही इनके शरीर से डीएनए एक्सट्रैक्ट किया गया है। इसलिए सिर्फ एक ही तरीका बचा है जिससे इनको इस दुनिया में किसी तरह से वापस लाया जा सकता है और वो यह है कि इनके रिलेटिव्स, ट्री स्लॉथ्स में क्रिस्पर टेक्नोलॉजी इस्तेमाल करके ग्राउंड स्लॉथ जैसा एक बड़ा एनिमल तैयार कर लिया जाए। CRISPR एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जिससे किसी भी जिंदा जीव के जीन में एडिटिंग करके उसे मॉडिफाई किया जा सकता है। और माना जाता है इसी टेक्नोलॉजी से हमें आने वाले दौर में सुपर ह्यूमन्स भी बना सकते है, मान के चलो कि किसी भी इंसान का रंग काला, कद छोटा और शरीर मोटा हो तो उसे CRISPR टेक्नोलॉजी की मदद से गोरा, लंबा और हेल्दी बॉडी वाला बनाया जा सकता है। एक भाषा में कहा जाए तो शरीर की किसी भी चीज़ को अपनी मनचाही इच्छा अनुसार बदला जा सकता है।
4. क्वागा
पहली नज़र में क्वागा को देखकर आपको लगेगा कि ये कोई हॉर्स और ज़ेब्रा का मिक्स प्रजति है। लेकिन सच ये है कि क्वागा ज़ेब्रा की ही एक खास सब-स्पीशीज थे — जिनकी शारीर की धारिया थोड़ी अलग और यूनिक होती थीं, जो उन्हें बाकी ज़ेब्राज़ से बिल्कुल अलग बनाती थीं। अब कहानी सुनिए इनके एक्सटिंक्ट होने की... जब डच और ब्रिटिश कॉलोनिस्ट साउथ अफ्रीका पहुंचे, तो इन्होंने बिना सोचे-समझे क्वागा का शिकार शुरू कर दिया। इतना ज़्यादा शिकार हुआ कि 1870 के दशक तक क्वागा पूरी तरह से खत्म हो गए। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती! 1987 में "Quagga Project" नाम का एक मिशन शुरू किया गया, जिसमें उनके सबसे करीबी रिश्तेदार — प्लेन ज़ेब्रा को चुना गया। और फिर उन्हीं ज़ेब्रा की सिलेक्टिव ब्रीडिंग करके, एक ऐसा ज़ेब्रा तैयार किया गया जो बिलकुल क्वागा जैसे दिखते हैं। और अब तक 150 से ज़्यादा क्वागा-जैसे ज़ेब्राज़ पैदा किए जा चुके हैं। और इनमें से 12 से 15 को तो दोबारा जंगल में भी छोड़ा जा चुका है, यानी नेचुरल हैबिटेट में वापस लाया गया है।
5. थायला साइन
दोस्तों अगर एक कुत्ता एक टाइगर और एक कंगारू का हाइब्रिड एनिमल बनाया जाये वो बिलकुल इस थायला साइन जैसे मल्सुपियास की तरह दिखाई देगा और आपको बता दे की थायला साइन ऑस्ट्रेलिया और तस्मानिया में पाए जाते थे लेकिन उस वक़्त कुछ लोगो ने दुसरे देशो से एक डिंगो नामक कुत्ते के ऑस्ट्रेलिया में लेकर आये और उसे जंगल में छोड़ दिए और नतीजा ये हुआ की वो कुत्ता थायला साइन का इतना बेहरमी से शिकार किये की आखिरकार ३००० साल पहले ये पूरी तरह इस दुनिया से विलुप्त हो गए और बचा खुचा तस्मानिया में थायला साइन को वहा के गवर्मेंट उसे hunting कर के मरवा दिया... और आप अभी जिस फोटो और वीडियो को देख रहे हैं, वो इस दुनिया की आखिरी फीमेल थायला साइन की है, जो जू में ख़राब ट्रीटमेंट की वजह से 1936 में मर गई थी।
लेकिन फ्रेंड थायला साइन के 750 से भी ज्यादा प्रिजर्व्ड स्पेसि मेन्स दुनिया भर के म्यूजियम्स में मौजूद हैं। जिसमे कुछ यंग थायला साइन जो उनकी मदर के गर्भ से निकाल लिए गए थे, वो आज भी इथेनॉल में प्रिजर्व्ड रखा हुआ हैं।
और 2018 में इनका जीनोम पूरी तरह से सीक्वेंस कर लिया गया था। आसान भाषा में कहा जाये तो जीनोम पूरा डीएनए का कलेक्शन होता है जिसमे ये तय किया जाता है की कोई जिव किस तरह से डेवलप होगा
अब एक छोटा सा जानवर है — फैट टेल्ड डनार्ट। उसका जीन थायलासाइन से 95% तक मिलता है। साइंटिस्ट लोग अब उसके बच्चे में थायलासाइन के बचे हुए 5% जीन डाल रहे हैं — एक ख़ास तकनीक से, जिसका नाम है CRISPR। और इसी तरीके से थायलासाइन को दोबारा ज़िंदा करने की तैयारी हो रही है। और अगर सब कुछ सही चला, तो जल्दी ही थायलासाइन को तस्मानिया के जंगलों में वापस छोड़ा जाएगा।
6. वुली मैमथ
दोस्तों, वूली मैमथ उन जानवरों में से एक है जो इंसानों के द्वारा खत्म किए गए सबसे फेमस जानवरों में गिना जाता है। ल्लाम्बे बालों से ढकी इनकी मोटी चमड़ी और ताकतवर शरीर इन्हें आइस एज की जबरदस्त ठंड में भी जिंदा रखता था।
लेकिन जैसे ही आइस एज खत्म हुआ, इंसानों ने इनका शिकार करना शुरू कर दिया। उनके मांस को खाया जाने लगा और हड्डियों से शेल्टर बनाए गए। और इसी तरह करीब 10,000 साल पहले वूली मैमथ पूरी तरह से खत्म हो गए।
हालांकि, रूस के पास व्रैंगल आइलैंड पर इनकी एक छोटी सी आबादी पिरामिड गीज़ा बनने के दौर तक यानी 4000 साल पहले तक जिंदा रही थी।
अब खास बात ये है कि वूली मैमथ की कई प्रिज़र्व्ड बॉडीज़ आज भी साइबेरिया की बर्फ में मिले हैं — जिनमें बाल, हड्डियाँ और कई बार ब्लड भी शामिल है। इसी के आधार पर 2015 में इनका पूरा जीनोम सीक्वेंस किया गया।
चूंकि एशियन एलिफेंट्स का DNA वूली मैमथ से 99.6% तक मेल खाता है, इसलिए अब उनके एम्ब्रियो में बचा हुआ 0.4% मैमथ जीन डालकर एक हाइब्रिड तैयार किया जा रहा है। और उम्मीद की जा रही है कि 2027 तक दुनिया का पहला "नया" मैमथ पैदा किया जा सकेगा।
और इस पूरे मिशन की ज़िम्मेदारी उठाई है – कोलॉसल बायोसाइंसेज़ ने, जो थायला साइन और डोडो को भी दोबारा ज़िंदा करने की कोशिश कर रही है।
7. डायरवोल्फ
डाइरवोल्फ एक बड़े और मजबूत वुल्फ की प्रजाति थी, जो करीब 10,000 साल पहले पृथ्वी पर राज करती थी।
ये आज के ग्रे वुल्व से कहीं ज्यादा बड़े और ताकतवर थे। उनका कद इतना बड़ा था कि कई बार इन्हें भेड़ियों के दिमाग से तुलना भी की जाती थी।
लेकिन जैसे-जैसे समय बदला और इंसानों ने जंगलों पर कब्जा करना शुरू किया, डाइरवोल्फ धीरे-धीरे खत्म होते चले गए।
अंततः ये लगभग 10,000 साल पहले पूरी तरह से एक्सटिंक्ट हो गए।
लेकिन अब विज्ञान ने एक बार फिर ये कोशिश शुरू कर दी है कि डाइरवोल्फ को वापस इस दुनिया में लाया जाए।
लेकीन कैसे?
आज के वुल्व्स के जीन में CRISPR तकनीक से डाइरवोल्फ के खास जीन एडिट किए जा रहे हैं।
फिर इन खास वुल्व्स की सिलेक्टिव ब्रीडिंग की जाएगी ताकि धीरे-धीरे उनका आकार, ताकत और दिखावट पुराने डाइरवोल्फ जैसी हो जाए।
1. वुली राइनोसेरोस
दोस्तों ये है राइनो जो आज से करोडो साल पहले आइस ऐज के ज़माने में इस धरती पर रहा करते थे जो काफी हद तक ठंडा रहता था और यही वजह था की उनके शारीर में काफी लम्बे लम्बे बाल होते थे साथ ही ये काफी विशाल्काएं हुआ करते थे लेकिन जब आइस एज खत्म हुई, तो क्लाइमेट चेंज और इंसानों के द्वारा लगातार शिकार करने की वजह से ये वुली राइनोज पूरी तरह इस दुनिया से एक्सटिंक्ट हो गए। और हैरानी की बात है की इनकी बॉडीज़ आज भी साइबेरिया के ठंडे बर्फीले इलाकों में मिलते हैं, लेकिन रिसर्च में कोई खास हाई-क्वालिटी जेनेटिक मटेरियल नहीं मिला है।
इसलिए अगर वूली राइनो को दोबारा इस दुनिया में लाना हो, तो सबसे आसान तरीका ये है कि इंडोनेशिया में मिलने वाले उसके सबसे करीबी रिश्तेदार सुमात्रा राइनो की Help ली जाए। अगर हम ऐसे सुमात्रा राइनो को चुनें जिनकी स्किन पर थोड़े ज्यादा बाल हों, और उन्हीं को आपस में मिलाकर उनकी अगली नस्ल तैयार करें, तो धीरे-धीरे उनके बच्चे और भी ज्यादा बालों वाले पैदा हो सकते हैं। ठीक वैसे ही जैसे Scientist भेड़ियों की Selective ब्रीडिंग करके आज के ज़माने में 340 से ज्यादा डॉग ब्रीड्स तैयार कर ली गई हैं। हलाकि इसमें भी एक बड़ी परेशानी है इंडोनेशिया में मिलने वाले सुमात्रा राइनो धीरे धीरे विलुपत हो रहे तो सबसे पहले कोसिस होगी की इनको ज्यदा से ज्यदा संख्या में बचाया जाये क्युकी अगर ये एकबार विलुप्त हो गए तो फिर वूली राइनो सोरेस को वापस लाना एकदम नामुमकिन हो जाएगा
2. डोडो
डोडो पक्षी दरअसल एशिया के कबूतरों की एक प्रजाति से इवॉल्व हुआ था। उसके पूर्वज उड़ते-उड़ते मॉरीशस आ पहुँचे थे। वहाँ कोई शिकारी जानवर नहीं था, इसलिए डोडो को किसी चीज़ का डर ही नहीं था। लेकिन 1638 में जब कुछ डच सिपाही मॉरीशस पहुँचे, तो उन्होंने डोडो का शिकार करना शुरू कर दिया। साथ ही वो अपने साथ कुत्ते, बिल्ली, बंदर और चूहे जैसे शिकारी जानवर भी ले आए। और इन सबकी वजह से डोडो पक्षी धीरे-धीरे खत्म हो गया और करीब 1690 तक ये पूरी तरह से विलुप्त हो गया।
लेकिन अच्छी बात ये है कि डोडो के कई प्रिज़र्व्ड नमूने आज भी मौजूद हैं। जैसे कि ऑक्सफोर्ड डोडो, जिसका सिर आज भी बहुत अच्छे हालत में रखा गया है। और 2022 में तो उनका पूरा जीनोम भी सीक्वेंस कर लिया गया है। अब वैज्ञानिकों ने निकोबार पिजन, जो डोडो के सबसे करीब के जेनेटिक रिश्तेदार हैं, उसे चुना है। और CRISPR नाम की टेक्नोलॉजी की मदद से इन पिज़न के जीन में एडिटिंग करके बहुत जल्द डोडो को दोबारा इस दुनिया में वापस लाने की तैयारी हो रही है।
3. ग्राउंड स्लॉथ
दोस्तों दुनिया के सबसे लेज़ी जानवर स्लॉथ को तो आप भली-भांति जानते होंगे जिसकी साइज महज एक बिल्ली के साइज के जितनी होती है लेकिन आइस एज के ज़माने में आज के स्लॉथ से कहीं गुना बड़े ग्राउंड स्लॉथ्स इस धरती पर पाए जाते थे। अगर कंपैरिजन किया जाए, तो उस ज़माने के ग्राउंड स्लॉथ एक हाथी के साइज के बराबर हुआ करते थे। हालांकि ग्राउंड स्लॉथ एक शाकाहारी जानवर थे जो सिर्फ घास-फूस, पेड़-पौधे खाते थे और ये जानवर ज़्यादातर वुडलैंड्स और ग्रासलैंड्स में रहा करते थे। और इसी वजह से इनकी ना कोई खास प्रिज़र्व्ड फ्रोज़न बॉडी मिली है ना ही इनके शरीर से डीएनए एक्सट्रैक्ट किया गया है। इसलिए सिर्फ एक ही तरीका बचा है जिससे इनको इस दुनिया में किसी तरह से वापस लाया जा सकता है और वो यह है कि इनके रिलेटिव्स, ट्री स्लॉथ्स में क्रिस्पर टेक्नोलॉजी इस्तेमाल करके ग्राउंड स्लॉथ जैसा एक बड़ा एनिमल तैयार कर लिया जाए। CRISPR एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जिससे किसी भी जिंदा जीव के जीन में एडिटिंग करके उसे मॉडिफाई किया जा सकता है। और माना जाता है इसी टेक्नोलॉजी से हमें आने वाले दौर में सुपर ह्यूमन्स भी बना सकते है, मान के चलो कि किसी भी इंसान का रंग काला, कद छोटा और शरीर मोटा हो तो उसे CRISPR टेक्नोलॉजी की मदद से गोरा, लंबा और हेल्दी बॉडी वाला बनाया जा सकता है। एक भाषा में कहा जाए तो शरीर की किसी भी चीज़ को अपनी मनचाही इच्छा अनुसार बदला जा सकता है।
4. क्वागा
पहली नज़र में क्वागा को देखकर आपको लगेगा कि ये कोई हॉर्स और ज़ेब्रा का मिक्स प्रजति है। लेकिन सच ये है कि क्वागा ज़ेब्रा की ही एक खास सब-स्पीशीज थे — जिनकी शारीर की धारिया थोड़ी अलग और यूनिक होती थीं, जो उन्हें बाकी ज़ेब्राज़ से बिल्कुल अलग बनाती थीं। अब कहानी सुनिए इनके एक्सटिंक्ट होने की... जब डच और ब्रिटिश कॉलोनिस्ट साउथ अफ्रीका पहुंचे, तो इन्होंने बिना सोचे-समझे क्वागा का शिकार शुरू कर दिया। इतना ज़्यादा शिकार हुआ कि 1870 के दशक तक क्वागा पूरी तरह से खत्म हो गए। लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती! 1987 में "Quagga Project" नाम का एक मिशन शुरू किया गया, जिसमें उनके सबसे करीबी रिश्तेदार — प्लेन ज़ेब्रा को चुना गया। और फिर उन्हीं ज़ेब्रा की सिलेक्टिव ब्रीडिंग करके, एक ऐसा ज़ेब्रा तैयार किया गया जो बिलकुल क्वागा जैसे दिखते हैं। और अब तक 150 से ज़्यादा क्वागा-जैसे ज़ेब्राज़ पैदा किए जा चुके हैं। और इनमें से 12 से 15 को तो दोबारा जंगल में भी छोड़ा जा चुका है, यानी नेचुरल हैबिटेट में वापस लाया गया है।
5. थायला साइन
दोस्तों अगर एक कुत्ता एक टाइगर और एक कंगारू का हाइब्रिड एनिमल बनाया जाये वो बिलकुल इस थायला साइन जैसे मल्सुपियास की तरह दिखाई देगा और आपको बता दे की थायला साइन ऑस्ट्रेलिया और तस्मानिया में पाए जाते थे लेकिन उस वक़्त कुछ लोगो ने दुसरे देशो से एक डिंगो नामक कुत्ते के ऑस्ट्रेलिया में लेकर आये और उसे जंगल में छोड़ दिए और नतीजा ये हुआ की वो कुत्ता थायला साइन का इतना बेहरमी से शिकार किये की आखिरकार ३००० साल पहले ये पूरी तरह इस दुनिया से विलुप्त हो गए और बचा खुचा तस्मानिया में थायला साइन को वहा के गवर्मेंट उसे hunting कर के मरवा दिया... और आप अभी जिस फोटो और वीडियो को देख रहे हैं, वो इस दुनिया की आखिरी फीमेल थायला साइन की है, जो जू में ख़राब ट्रीटमेंट की वजह से 1936 में मर गई थी।
लेकिन फ्रेंड थायला साइन के 750 से भी ज्यादा प्रिजर्व्ड स्पेसि मेन्स दुनिया भर के म्यूजियम्स में मौजूद हैं। जिसमे कुछ यंग थायला साइन जो उनकी मदर के गर्भ से निकाल लिए गए थे, वो आज भी इथेनॉल में प्रिजर्व्ड रखा हुआ हैं।
और 2018 में इनका जीनोम पूरी तरह से सीक्वेंस कर लिया गया था। आसान भाषा में कहा जाये तो जीनोम पूरा डीएनए का कलेक्शन होता है जिसमे ये तय किया जाता है की कोई जिव किस तरह से डेवलप होगा
अब एक छोटा सा जानवर है — फैट टेल्ड डनार्ट। उसका जीन थायलासाइन से 95% तक मिलता है। साइंटिस्ट लोग अब उसके बच्चे में थायलासाइन के बचे हुए 5% जीन डाल रहे हैं — एक ख़ास तकनीक से, जिसका नाम है CRISPR। और इसी तरीके से थायलासाइन को दोबारा ज़िंदा करने की तैयारी हो रही है। और अगर सब कुछ सही चला, तो जल्दी ही थायलासाइन को तस्मानिया के जंगलों में वापस छोड़ा जाएगा।
6. वुली मैमथ
दोस्तों, वूली मैमथ उन जानवरों में से एक है जो इंसानों के द्वारा खत्म किए गए सबसे फेमस जानवरों में गिना जाता है। ल्लाम्बे बालों से ढकी इनकी मोटी चमड़ी और ताकतवर शरीर इन्हें आइस एज की जबरदस्त ठंड में भी जिंदा रखता था।
लेकिन जैसे ही आइस एज खत्म हुआ, इंसानों ने इनका शिकार करना शुरू कर दिया। उनके मांस को खाया जाने लगा और हड्डियों से शेल्टर बनाए गए। और इसी तरह करीब 10,000 साल पहले वूली मैमथ पूरी तरह से खत्म हो गए।
हालांकि, रूस के पास व्रैंगल आइलैंड पर इनकी एक छोटी सी आबादी पिरामिड गीज़ा बनने के दौर तक यानी 4000 साल पहले तक जिंदा रही थी।
अब खास बात ये है कि वूली मैमथ की कई प्रिज़र्व्ड बॉडीज़ आज भी साइबेरिया की बर्फ में मिले हैं — जिनमें बाल, हड्डियाँ और कई बार ब्लड भी शामिल है। इसी के आधार पर 2015 में इनका पूरा जीनोम सीक्वेंस किया गया।
चूंकि एशियन एलिफेंट्स का DNA वूली मैमथ से 99.6% तक मेल खाता है, इसलिए अब उनके एम्ब्रियो में बचा हुआ 0.4% मैमथ जीन डालकर एक हाइब्रिड तैयार किया जा रहा है। और उम्मीद की जा रही है कि 2027 तक दुनिया का पहला "नया" मैमथ पैदा किया जा सकेगा।
और इस पूरे मिशन की ज़िम्मेदारी उठाई है – कोलॉसल बायोसाइंसेज़ ने, जो थायला साइन और डोडो को भी दोबारा ज़िंदा करने की कोशिश कर रही है।
7. डायरवोल्फ
डाइरवोल्फ एक बड़े और मजबूत वुल्फ की प्रजाति थी, जो करीब 10,000 साल पहले पृथ्वी पर राज करती थी।
ये आज के ग्रे वुल्व से कहीं ज्यादा बड़े और ताकतवर थे। उनका कद इतना बड़ा था कि कई बार इन्हें भेड़ियों के दिमाग से तुलना भी की जाती थी।
लेकिन जैसे-जैसे समय बदला और इंसानों ने जंगलों पर कब्जा करना शुरू किया, डाइरवोल्फ धीरे-धीरे खत्म होते चले गए।
अंततः ये लगभग 10,000 साल पहले पूरी तरह से एक्सटिंक्ट हो गए।
लेकिन अब विज्ञान ने एक बार फिर ये कोशिश शुरू कर दी है कि डाइरवोल्फ को वापस इस दुनिया में लाया जाए।
लेकीन कैसे?
आज के वुल्व्स के जीन में CRISPR तकनीक से डाइरवोल्फ के खास जीन एडिट किए जा रहे हैं।
फिर इन खास वुल्व्स की सिलेक्टिव ब्रीडिंग की जाएगी ताकि धीरे-धीरे उनका आकार, ताकत और दिखावट पुराने डाइरवोल्फ जैसी हो जाए।
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Wild Life
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